अगर ST, SC, OBC, एक हो जाए तो क्या होगा ?
साथियों इतिहास काल से अब तक यदि हम अपनी राजनैतिक सामाजिक एवं आर्थिक पृष्टभूमि को झांके तो हमें ज्ञात होगा की केवल उच्च वर्ग ही निम्न वर्ग पर आजतक शासन कर रही है, और अपने इस सत्ता को बनाए रखने के लिए प्रप्रंच जाल बुन रही है | यह व्यवस्था लोकतांत्रिकता के विरुद्ध है , परन्तु अगर इस शोषण की नीति का विरोध करना भी हमारा परम लक्ष्य है, वास्तव में देखा जाए तो उच्च वर सत्ता धारी लोगो की कुछ मजबूरियों का फायदा बखुबी उठाते है, तथा लेने समय तक शोषण किए जाने की राजनीति भी तैयार करते है, वे ये स्पस्ट जानते है की हमारी सत्ता इनके कमजोर बौद्धिकता एवं सामाजिक बिखराव आदि पर निर्भर है, इसलिए वे समाज को बिखराव करके उसकी शक्ति को क्षीण करने का प्रयास करते रहते है
वे जानते है अगर जनता का मतैक्य हो जाए तो हमारी ये शीशे की दिवार जायदा दिन टिकने वाली नहीं है वे हमारे निम्न पहलुओ का फायदा उठाते है,
- गरीबी, बेरोजगारी,
- सामाजिक रूप से अलग-थलग रहना,
- जातिय भेद का बरक़रार रहना,
- अशिक्षा,
- दुर्बल मानसिकता,
- रूढ़िवादिता,
वे इन समस्याओ के निराकरण का जो प्रयास करते है वह केलव दिखावा है | हाँ प्रयास अवश्य करते है, परन्तु अपने उद्धेश्य की पूर्ति को ध्यान में रखकर, और जनता के बीच ऐसे मुददे फेकते है जिससे जनता उसमे उलझ के रह जाती है
बौध्धिक विश्लेषण के लिए उनके पास अवकाश ही नहीं रह जाता |
यदि जनता इस जानकारी नीति का विरोध करें तो उनकी बात को दबा दी जाती है, क्योकि सत्ताधारी दमन के मनसूबे में वे बाधक बनकर सामने आते है |
विरोधी ताकतों की साजिसे एवं अव्यस्थाए
- कोई व्यक्ति मज़बूरी में तीन व्यक्तियों को अपने गाड़ी में बिठा ले तो यह नियम का उलंघन है, जबकि रेलगाड़ी के डिब्बो में लोगो को दास प्रथा के समान ढूस-ढूस कर भरा जाता है, यह कहाँ का नियम है |
- वे लोग जो संपन्न है वे रिजर्वकराकर आराम से सोते हुए सफ़र करते है, उनके लिए डिब्बो की संख्या जायदा रहती है, जबकि लोकल डिब्बे जिसमे आम साधारण लोग सफ़र करता है, उनकी संख्या सबसे कम / गरीब के लिये कोई सुविधा नहीं, जबकि अमीरों के लिए AC से भी जायदा सुविधा |
- एक शिक्षक बन्ने के लिए बी.ए, एम,ए, बी,एड, टेड मुख्य परीक्षा आदि परीक्षाओ को पास करना ही आवश्यक है, इन्हें पास करने के बाद ही आप पढ़ाने के लिए योग्य हो पाएंगे, जबकि देश को चलाने वाले नेता बनने के लिए कोई पढाई की आवश्यकता नहीं, एक निरक्षर भी नेता बन कर नीति निर्माण सम्बन्धी सिद्धात्न बना सकता है,
- पांच साल के लिए चयनित नेताओ के लिए ता उम्र पेंसन की व्यवस्था जबकि, आजीवन सहकारी, और देश की सुरक्षा करने वाले बलों को कोई पेंसन नहीं |
- देश की सीमा पर गोली खाने वाले से जायदा ट्रैन के पीछे झंडा हिलाने वाले का बेतन जायदा होता है |
- देश और हमारी अनेक समस्याए है जिनके चलते देश सुद्रिण नहीं हो पा रहा है |
- यदि हम एस टी, एस सी, ओ बी सी, एक हो जाए तो निम्न परिवर्तन दिखाई देगा |
- सत्ता स्वंम के हांथो में आ जाएगी |
- हम अपने बच्चो के लिए स्वंम नीति निर्धारण करेंगे, और योजनाए बनायेंगे |
- सर्वप्रथम शिक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जायेगा, धार्मिक और पाखंडो को प्राथमिकता देने वाले पाठ्यक्रम को बदलकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने वाले पाठयक्रम बनाये जायेंगे |
- गरीबो के लिए उच्च शिक्षा के द्वार खुल जायेंगे जिससे वे भी उच्च विभागों, में पदस्थ होंगे |
- हमारे भी बच्चे जज, लेखापाल, IAS, C.B.I., मुख्य मंत्री, प्रधानमंत्री, देश की सचिवालयों के सचिव और अन्य उच्च पदों पर पदस्थ होंगे जो गरीबो के लिए भी कल्याणकारी योजनाए बनायेंगे | एक सड़क छाप व्यक्ति भी पड़ लिखकर जज या डॉक्टर बनेगा |
- हमारा भी आलिशान बंगला होगा |
- हमें गरीबो की तरह बैंक में लाइन लगाना नहीं पड़ेगा |
- बस और ट्रेन के धक्के नहीं खाने होंगे |
- हम सबका घर होगा, सर्वसुविधा मकान होगा |
- फिर जिल्लत भरी जिंदगी समाप्त हो जाएगी |
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