नौकरी अनेक प्रकार के होते है, आप इससे भली भाति परिचित होंगे, लेकिन आपको क्या अधिकारी के नौकरी के बारे में पता है, अधिकारी अपने छेत्र का सबसे बड़ा व्यक्ति होता है, अधिकारी बनना इतना आसन नहीं होता, सभी यही कहते है, या तो आप समझदार हो जाओ, या समय आपको समझदार बना देगा, लेकिन समय के अनुसार समझदार बनना समझौता हो, और पहले से तैयार होना समझदारी को प्राप्त करना |
क्या अधिकारी पहले से समझदार होते है, या समझदार बनने के लिए तैयार होते है, या समय के अनुसार समझदारी पर छोड़ देते है,
किसी का दायित्व अपने ऊपर लेना क्या आसन है, कदापि नहीं, क्योकि दुसरे का दायित्व लेने से पहले स्वंम का दायित्व लेना बहुत जरुरी है,
अब जो मै कहना चाह रहा हूँ, उसे अच्छे से आप समझे,
मान लेते है, मै तहसीलदार बनना चाहता था, पर बड़ी बात ये है मै क्यों बनना चाहता था, यह एक अधिकारी का पद और कार्य है, एक अधिकारी का कर्तव्य होता है, की अपने कार्य छेत्र में आने वाले सभी का हर समय धयान रखे, लेकिन उस व्यक्ति का क्या, जो सिर्फ अपने आप को समय सीमा में बांध रखा है, और उससे आगे बढ़कर कार्य नहीं करता, कार्य के समय सीमा के बाद भी कोई दायित्व होता है, जो हर समय साथ होता है, और यह उसी में हो सकता है, जो अपने आप को पूरी तरह से अपने कर्तव्य के लिए समर्पित कर दिया है, पता चला की रात में आक्सीडेंट हो गया है, तो क्या तहसीलदार को इसकी सूचना दी जाती है, हाँ बिलकुल पर क्या मौके पर तहसीलदार पहुचेगा, हाँ अगर मौके पर पहुचना जायज है, तो ठीक है, नहीं तो बाद में भी जाया जा सकता है, लोक प्रशासन में एक अधिकारी का दायित्व लोगो की सेवा ही प्रथम कर्तव्य है, इसे समय की सीमा में नहीं बांधा जा सकता, इन अधिकारियो की जिंतनी तारीफ की जाए, उतनी कम है |
अधिकारी बनने से पहले यह समझ लेना चाहिए, यह एक कर्तव्य है, जिसे हर समय निभाना होता है, इस कर्तव्य को जितना जल्दी समझ लिया जाए, अधिकारी बनना उतना आसन हो जायेगा |
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