अगर किसी से भी पूछा जाए, कि किसी चीज की शुरुआत कहाँ से होती है | तो उत्तर हर व्यक्ति देगा, सोचने से, तो ठीक है,
आज सोचने से ही शुरुआत करते है |
आज मन में ख्याल आया की आपको कुछ ख्वाब दिखाया जाए | वह ख्वाब ऐसा होगा जिसे आप अच्छी तरह से समझ सकें ;
थोड़ा बहुत उसके बारे में सोचे , सोचे की आपके जीवन में, अपने लक्ष्य की प्राप्ति की मार्ग में कैसे आगे बढ़ा जाए |
तो अंतिम में यही उत्तर मिलेगा, की आशावादी सोच, यह वाक्य आदेशात्मक वाक्य है |
अतः इस बात को समझो, यहाँ पर आपको आशावादी सोचने के लिए, आदेश दिया जा रहा है, इसे स्वीकार करो |
क्या होता है, आशावादी सोच
आशावादी का अर्थ होता है, आशय बनाना ,
जब किसी कार्य की शुरुआत होती है, तो वह धीरे-धीरे पूर्ण होता है, एक झटके में पूर्ण नहीं होता |
उसे पूर्ण होने में या पूर्ण करने में समय लगता है,
लेकिन यह पूर्ण होता कैसे है, इसमें मदद करता है, आशावादी सोच,
जैसे:- यह कार्य पूर्ण होगा, हाँ एक दिन यह कार्य अवश्य पूर्ण होगा, धीरे-धीरे पूर्ण होगा |
एक दिन मै यह कार्य पूर्ण कर लूँगा, एक दिन इसे अच्छे से पूरा करा लूँगा,
एक दिन बेहतरीन कार्य करूँगा |
किसी सकारात्मक कार्य की पूर्ण होने की आशा रखना ही आशावाद है |
आशा और निराशा में यही अंतर है की, आशा सकारात्मक की ओर ले जाता है,
और निराशा, दुःख की ओर
सोचने से कोई कार्य पूर्ण नहीं होता, सोचकर पूर्ण करने से होता है |
यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह है, की व्यक्ति अपने भाग्य का स्वयं विधाता होता है,
अगर कुछ गलती हुआ है, तो तुम्से हुआ है, उसे सुधारो, किसी दुसरे को दोष देने से कार्य पूर्ण नहीं होगा |
दोष देना है तो, अपने आप को दो |
Leave a Reply