उर्जा क्या है ? उर्जा के प्रकार ? उर्जा के उपयोग ? उर्जा की उत्पत्ति ?
उर्जा 1 एक प्रकार की होती है |
लेकिन उर्जा के दो रूप होते है | जिसे दो प्रकार से उपयोग करते है ?
आपने बिजली का बल्व को, मोबाइल के टॉर्च को जलते जरुर देखा है, आप उसका उपयोग भरपूर मात्रा में करते है |
यह सब उर्जा का खेल है, बैटरी में उर्जा होती है, बैटरी के उर्जा को बिजली के माध्यम से खपत करते है, उसी तरह से घर में लगे बिजली का उपयोग करते है |
आपको पहले बताया जा चूका है, उर्जा 1 है लेकिन उर्जा का उपयोग दो प्रकार से होता है |
एक उर्जा को सकारात्मक उर्जा, जिसे पॉजिटिव उर्जा कहते है |
और दूसरा,
नकारात्मक उर्जा जिसे नेगेटिव उर्जा कहते है |
अध्यात्म की नजर से देखे तो, पहले सिर्फ पॉजिटिव उर्जा ही था, लेकिन जब उर्जा का बटवारा हुआ तो उर्जा दो भाग में बंट गया |
सकारात्मक और नकारात्मक
नकारात्मक उर्जा ने सकारात्मक उर्जा से विनती करके एक वरदान माँगा की |
हे सकारात्मक उर्जा आपकी उर्जा भरपूर है, मेरी उर्जा आपके सामने कुछ भी नहीं है | आप का ही राज सब जगह छाया हुआ है | अतः मुझे वरदान देवे की मै भी अपने उर्जा को सभी ओर फैला सकू ,और अपना राज कर सकूँ |
सकात्मक उर्जा ने, नकारात्मक उर्जा को वरदान दिया की, जाओ अपना उर्जा फैलाओ, लेकिन कुछ बाते है उसे याद रखना,
जो भी मेरे उर्जा से मिलना चाहता है, वह मुझसे मिल सकता है, जब- जब तुम्हारा प्रभाव जायदा होगा, तब-तब मै अपने उर्जा को भेजूंगा, और तुम्हारे नकारात्मक उर्जा के प्रभाव को नष्ट कर दूंगा, और उसे अपने में मिला लूँगा |
यह अध्यात्म की कहानी है जिसे स्पस्ट तरीके से खोलकर नहीं बताया जा रहा है |
आपने दो प्रकार के उर्जा के बारें में जाना, अब विस्तार से जाने,
नकारात्मक उर्जा को, काला जादू कहते है, जिसका उपयोग, गलत कार्यो के लिए लाया जाता है |
और सकारात्मक उर्जा जिसे सफ़ेद उर्जा कहते है, जिसका उपयोग नकारात्मक उर्जा को दूर करने के लिए किया जाता है |
मानव के शरीर में भी दो प्रकार की उर्जा होती है,
आधा सफ़ेद अर्थात सकारात्मक उर्जा, और आधा काला उर्जा अर्थात नकारात्मक उर्जा |
जब यह उर्जा बराबर रूप में होती है, तो उसे शरीर की सामान्य अवस्था कहते है |
जब शरीर में जिस उर्जा की मात्रा अधिक होने लगती है, तो वह अपना प्रभाव भी वैसा ही डालती है |
जब गलत उर्जा की मात्रा बढ़ने लगती है, तो गलत कार्य करने का मन करता है,
और जब सत्य की उर्जा बढ़ने लगती है तो वह लोगो में अपना सत्य प्रभाव फ़ैलाने लगती है |
हम इसे इस तरह से समझ सकते है, जब वही उर्जा अधिक बढ़ जाती है तो वह उर्जा अधिक हो जाने की वजह से, गलत प्रभाव डालना शुरु कर देता है |
और जब वही उर्जा सामान्य में हो तो अच्छा रहता है, अपने इस सकारात्मक उर्जा को, हम बहुत जायदा मात्रा में बढ़ा सकते है, और नकारात्मक उर्जा को दूर भेज सकते है, ऐसा करने से नकारात्मक उर्जा पास भी नहीं आ सकती |
उर्जा की वास्तविकता को समझने के लिए हमें अपने आप को जानना होगा |
क्योकि यह अध्यात्म का ज्ञान है, तथा वैज्ञानिक ज्ञान है |
मानव के उर्जा के अनेक प्रकार के श्रोत होते है लेकिन कुछ श्रोत के बारे में बात करते है |
शरीर की तथा शरीर के अन्दर की उर्जा, जिसे आत्मिक उर्जा कहते है |
आत्मिक उर्जा को सतनाम के प्रकाश से भरपूर मात्रा में भर सकते है |
सत्य की खोज, वास्तविक जिंदगी ही सत्य को खोज सकता है |
गुरुघासीदास बाबा ने इसी उर्जा के बारे में सबको बताया की, पत्थर में उस उर्जा को न खोजो, सत्य के साथ जीवन को जिओ,
सत्य का आचरण करो |
जाति पाती मत मानो |
मूर्ति पूजा मत करो |
सत्य की उर्जा की बढाओ, सूर्य के जैसे |
सत्य के साथ जिओ, मास भक्षण मत करों, जीवो पर दया करों,
मास खाने से सकारात्मक उर्जा कम होने लगती है |
नशा सेवन न करो, यह नकारात्मक उर्जा को बढाती है |
वह उर्जा तुम्हारे अन्दर है, कही और नहीं, उसे कहीं और न खोजो
| हे सत्पुरुष, हे सतनाम, हे सतनाम ||
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