आज यहां जारी एक बयान में छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि नाबार्ड के अनुसार प्रदेश में भूमिहीन आदिवासियों सहित लगभग 37 लाख परिवार सरकारी ऋण योजना के दायरे से बाहर हैं, जो खुले बाजार या साहूकारों से कर्ज लेते हैं। उन पर औसतन 50 हजार रुपयों का कर्ज चढ़ा हुआ है, जिसका अधिकांश साहूकारी कर्ज़ों का ही है। ऐसे में केरल की तर्ज़ पर किसान ऋण मुक्ति आयोग बनाकर उन्हें इन कर्ज़ों से छुटकारा दिलाया जा सकता है।
किसान नेताओं ने देरी से हुई वर्षा और अल्पवर्षा से पैदा अकाल की स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की है और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल उठाये जाने वाले अनेकानेक कदमों में से एक के रूप में मनरेगा के जरिये ग्रामीण किसानों को रोजगार दिए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि आधा राज्य और तीन-चौथाई किसानों की फसल सूखे से प्रभावित है। इससे राज्य के विकास दर में भी गिरावट आएगी और पलायन बढ़ने की आशंका है। इसके मद्देनजर किसानों को राहत देने के हर संभव उपाय किये जाने की जरूरत है।
Leave a Reply