भारत का सविधान नया भारत निर्माण कर्ता युग पुरुष डॉ० भीम राव आंबेडकर ने भारत का सविधान लिखकर भारत का नया निर्माण किया |
भारत का सविधान में कहाँ गया है, अगर सविधान को बदलना है, तो यह संसद में इसकी संसोधन और नियम बनाया जायेगा |
भारत का संविधान बनने में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन लगे थे | इन दिनों में बाबा साहब ने संविधान को लिखा और निर्माण किया |
बाबा साहेब आंबेडकर भारत के पहले कानून मंत्री बने,
बाबा साहेब डॉ. भीम राव आंबेडकर हमेशा, शूट बूट और कोट पहनते थे, सामने की जेब में एक कलम, आँखों में साधारण चश्मे लगे रहते थे |
जब भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ, तो उसी के कुछ साल बाद बाबा साहेब की मृत्यु हो गई, उससे पहले, संविधान निर्माता के रूप में उनकी फोटो ली गई थी, और बाद में यही मूर्ति का रूप लेकर गाँव-गाँव गली-गली शहर-शहर हर चौराहे में निश्चित रूप से हमें मूर्ति मिलते है |
इस फोटो में मूर्ति में बाबा साहेब अपने बाये हाथ ( left Hand) में भारत का संविधान पुस्तक को पकडे हुये है, और दुसरे हाथ (Right hand) को सीधा करके ऊँगली को सीधा किये हुये है,
जो यह इशारा करता है, मेरे बाये हाथ में जो भारत का संविधान है, और उसमे कोई बदलाव करना है, या कोई नया नियम जोड़ना है तो तुम्हे भारत की संसद की ओर रुख करना होगा |
और जेब में कलम यह कहता है, इस कलम के माध्यम से ही यह संभव हो पायेगा, क्योकि भारत का संविधान लिखित है |
शूट बुत कोट यह दर्शाता है, पढ़े लिखे शिक्षित, समझदार ही यह कर पाएंगे |
इस चित्र को देखे और इसे कभी ना भूले,
अब जाने भारत देश उन लोगो के बारे में जिनको ,मनुवादियों ने भर-भर कर लूटा और उनको इतना कमजोर और गरीब बना दिया की किसी चीज को छूना और देखना भी हो जाता था | इन लोगो को दलित कहा जाता था, जिनको तालाब नदी से पानी छूने की इजाजत भी नहीं थी, बाबा साहेब भी इन्ही दलितों में से आते थे,
जब भारत का संविधान उस समय कोई एक भी ऐसा शिक्षित व्यक्ति नहीं था, जो साहब जितना शिक्षित और समझदार हो | इन दलितों को घर से दिन में निकालने तक मनाही थी, मंदिर में भगवान को देखना सबसे बड़ा पाप माना जाता था | जो आज भी चल रहा है,
बाबा साहेब ने अपने वर्ग की बिमारी को दूर करने के लिए तीन नियम बताये थे,
शिक्षित बनो, सगठित रहो, संघर्ष करो ,
अर्थ- सभी को शिक्षित होना है, और साथ में रहकर संगठित रहना है, संगठित होकर संघर्ष करना है |
और आज जब यह दलित वर्ग शिक्षित, संगठित और संघर्ष करने लगे है तो इन मनुवादियों ने एक नया चाल चला है,
बाबा साहेब उन दलितों के लिए कोई डूबते को तिनके का सहारा से कम नहीं, यहाँ पर यह कहना गलत होगा की (दलितों के लिए भगवान से बढ़कर नहीं ) लेकिन यह इसलिए गलत शब्द क्योकि बाबा साहेब कभी भगवान को मानते ही नहीं थे, और उन्होंने सभी लोगो को भगवान को ना मानने की सलाह भी दी थी |
तो इसमें भगवान कहाँ से आता है, लेकिन आज दलित भगवान बनाकर पूजने लगे है, अगरबत्ती जलाई जा रही है, दलित वही करने लगे है जो मनुवादी चाहते है,
बाबा साहेब आंबेडकर को कैसे माना जाता है
बाबा साहेब द्वारा लिखित संविधान को खोलकर सबको उसके बारे में बताया जाता है, और लोग भाषण देना चाहते है उनको बुलाया जाता है,वैज्ञानिकी ज्ञान को उजागर किया जाता है, जो विज्ञानिक की बड रहे है उनकी मदद की जाती है, और अंधविश्वास को नाकारा जाता है |
इस सभाओ में नारियल धुप और आगरबत्ती जलाना गलत है, (दीप जला सकते है )
बच्चों को और सभी कलम और पुस्तके बांटे जाते है |
मनुवादी क्या चाहते है ?
मनुवादी चाहते है, की बाबा साहेब को भगवान बनाकर पूजे और एक दिन अवतारी भगवान बना दे | और इससे इनको फ़ायदा यह होगा की संविधान को पूरी तरह से बदलने का इनको अवसर मिल जायेगा , क्योकि आज लोग समझने लगे है की कोई भगवान नहीं होता और आज भगवान के अस्तित्व को नाकारा जा रहा है, और बाबा साहेब को भी भगवान बनाकर इनको नकारना इन मनुवादियों का मकसद है |
कौन है मनुवादी ?
जो भारत के संविधान को नहीं मानते, जो काल्पनिक ग्रंथो को संविधान मानते है, जो जाति भेद भाव और दलितो का शोषण करते है, जो नहीं चाहते की दलित लोग पढ़े, जो नहीं चाहते की इनको इनका अधिकार मिले |
और इसी लिए इन्होने बाबा साहेब की फोटो के साथ खिलवाड़ किया है, और जो इंशारा संसद की तरफ है, उसे ऊपर उठाते- उठाते आज आकाश की ओर कर दिया गया है | इस फोटो का अर्थ का अनर्थ करके ऊपर की ओर करके (सबका मालिक एक ) भगवान की तरफ कर दिया गया है जो सबसे गलत है,
आप फोटो देखे :-
लोगो को इस गलत फोटो का प्रचार करते, या किसी सहकारी दफ्तर होने पर समझाए की यह गलत फोटो है, और ना माने तो थाने में शिकायत करें |
और उन दलितों से निवेदन है की बाबा साहेब की स्मारक अगर गलत है तो उसे जल्द से जल्द बदले, और सही गलत को बताये और अपने मित्रो से यह व्हात्स एप्प में शेयर करें |
क्योकि अपने साथ सबको शिक्षित करना है |
हम सभी को जुड़कर संगठित रहना है,
हम सभी एक साथ रहकर संघर्ष करना है, और इस ज्ञान को सबके साथ शेयर करना है |
जय बाबा साहेब आंबेडकर
लेखक और विचारक :-
योगेन्द्र धिरहे उम्र 24 वर्ष पढाई कालेज जारी …………
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