दलितों को हिंदुत्व के पाखंड से मुक्ति क्यों नही रही है |
साथियों विचार परिवर्तन करना कोई साधारण काम नहीं है, इसके लिए अनके प्रकार के मानसिक संतुष्टि से ताप्तर्य है, जो नए विचार हम आत्मसात करने जा रहे है, उस नए विचार के प्रमाण की सत्यता उसकी उपयोगिता उसे अपनाने से हानियाँ आदि अनेक बिन्दुओ पर विचार करना पड़ता है | जैसे हम निम्न हिंदुत्व धर्म को त्याग रहे है इसके निम्नलिखित वजह हो सकते है :-
• इसमें लिखित बातो की प्रमाणिकता संदिग्ध है
• इससे पृथक होने में ही समाज का हित है क्योकि यह हमारा आर्थिक, राजनैतिक एवं सामाजिक रूप से शोषण ही करता रहा है |
• यह उलझनों से भरा हुआ है | जिससे किसी शास्वत सत्य की पुष्टि नहीं हो रही है |
• यह जातिवादी विचारधारा का समर्थन है, आदि |
ये तय है की हिंदुत्व केवल शोषण का नाम है परन्तु समस्या यह है की यह हमारे संस्कार का हिस्सा बन चूका है हम यह चलते आये है राम राम कहते आये है हम होली दीपावली एवं दशहरा को बड़े धूमधाम से मानते आये है, जबकि ये सब हमारी पराजय का प्रतिक है त्यौहार का अर्थ होता है, त्यों = तुम्हारी हार = पराजय |
गले में हिन्दू देवी देवताओ की माला पहनते है, इनके नाम पा समय समय पर धार्मिक कार्यक्रम कराते है |
यदि कम होली न मनाए तो क्या होगा, किन समस्याओ का सामना करना पड़ेगा |
1. घर के बड़े बुजुर्ग इसका विरोध करेंगे क्योकि वे इसे खुशहाली के प्रतिक चिन्ह के रूप में मानते है | और मानव की यह स्वाभाविक प्रकृति है की उसे नाचने गाने का अवसर प्राप्त हो और वह किलोल न करें |
अब सारा संसार जश्न में मग्न है और हम है की खाली पड़े हुए है | इसे समाज नकारात्मकता के रूप में देखती है और वह इस समय का उपयोग करना चाहती है परन्तु उसके पास विकल्प नहीं है की वह दिन भर क्या करें जबकि सारे संसार में गुलाल उडाए जा रहे है |
यही से हमारे बौद्धिकता का प्रसार शुरू होता है, कुछ करने के लिए विकल्प की आवश्यकता होती है और इस विकल्प को समाज के चिन्तक ढूढ नहीं पा रहे है | क्यों न ऐसा किया जाए की – “ कुछ न किया जाए “
1- इससे हमारी शारीरिक शक्ति का भी बचत होगा |
2- आर्थिक रूप से बचत होगा |
3- और हमारे इतिहास में घटित घटनाओ के साथ न्याय होगा |
4- हमें देखकर अन्य लोग भी प्रेरणा लेंगे |
धीरे-धीरे यह रूढ़िवादिता समाप्त होता जायेगा, लोग जागरूक होंगे | इस दिन हम महत्वपूर्ण कार्य कर सकते है | इतिहास में घटित घटना को समाज के सामने रख सकते है नाटक मंचन के एवं प्रतियोगिता के माध्यम से हम इस दिन का भरपूर उपयोग कर आपकी बुध्धिमता का परिचय दे सकते है इससे जायदा यह होगा की लोगो को अपना वास्तविक इतिहास पता चलेगा जिससे क्रांति की ज्वाला और भड़केगी और व्यापक स्तर पर कुरूतियो को मिटाने का अवसर प्राप्त होगा |
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