सन 1914 के आसपास की बात है कबीर दास जी का जन्म हुआ था, लेकिन इनके माता-पिता अज्ञात है ,इनका पालन पोषण नीरू और नीमा नामक व्यक्ति ने किया था, कबीर दास जी कभी कोई स्कूल नहीं गए थे और ना ही किसी प्रकार की शिक्षा ग्रहण की थी कबीर दास जी की मानसिकता इतनी प्रबल थी हर किसी व्यक्ति को प्रभावित करते थे,
कबीर दास जी के मानने वाले आगे चलकर कबीर पंथ के विद्वान हुए संसार में आपको ऐसा कोई व्यक्ति वास्तव में नहीं मिलेगा जो कबीर साहिब की बातों और ज्ञान का अनुसरण ना करता हो,
कबीर दास जी के अपने दोहे के माध्यम से सभी लोगों को अनेक तरह से चेताया है और ज्ञान से परिपूर्ण किया है फिर भी व्यक्ति इतने पढ़े लिखे समझदार होने के बावजूद मूर्खता की जीवन यापन करने में भूल आए हुए हैं
अगर आप मूर्खतापूर्ण कर्मकांड करते हो तो वास्तव में आप मूर्ख हो
चले कुछ ज्ञान के दोहों को समझते हैं
मूंड मुंडाए हरि मिले, सब कोई लेत मुड़ाए,
बार-बार के मुड़ते, भेड़ न बैंकुठ जाए,,
आज आप किसी के दाह संस्कार में लोगों को सिर मुड़ाते आपने देखा होगा लेकिन उनको खुद पता नहीं होता कि वह मूड को क्यों मुड़ा रहे होते हैं, अरे मूर्ख पता तो कर लो मुड़ मुड़ाने से क्या होता है,
कबीर दास जी और ब्राह्मणवाद पर एक कहानी
एक दिन की बात है कबीर दास जी नदी के पास नहाने गए थे फिर उन्होंने नदी के किनारे खड़े होकर पानी लेकर पत्थर पर डालने लगे पास में खड़े ब्रह्मणों पंडितों ने कबीरदास जी से पूछा कबीर दास जी आप क्या कर रहे हैं तो कबीरदास जी ने कहा अपने घर के पौधे को पानी दे रहा हूं कबीर दास जी की इस बात को सुनकर ब्राह्मण उन पर हंस पड़े, तो कबीर दास जी ने उन ब्राह्मणों से कहा जब आप कोई दान पूण्य लेते हैं तो वहां स्वर्ग में बैठे देवता के पास कैसे चला जाता है तो फिर यहां से पानी डालने पर घर के गमले में पानी क्यों नहीं जा सकता इस बात पर ब्राह्मणों को बड़ी निराशा हुई और सिर नवाकर भाग गए |
यह बात हुए 600 वर्ष से अधिक हो गया लेकिन तुम अभी मूर्ख हो और स्वर्ग नर्क के चक्कर में मोक्ष के चक्कर में अटके हुए हो तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता तुम गरीब के गरीब शोषण का शिकार होने वाले दूसरों को कोसने वाले ही रहोगे अपने आपकी मूर्खता तुम्हें नहीं दिखती तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता तुम्हारा कोई ढोंगी ब्राह्मण ही भला करें
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