इस देश में है अंधे की तरह जीने की प्रथा, जाने कौन सा देश है ?
कुछ दिन पहले की बात है मैंने कुछ ऐसा किया था की सभी लोगो की नजर मेरी तरफ हो गई थी,
सभी व्यक्ति को बहुत दुःख हुआ था, सभी क्रोध से आग बबूला हो गए थे |
बहुत लोग खुश हुए थे |
मीडिया आई, लोग आये, मुझे समझना चाहा |
की क्या कारण की मैंने देवी देवताओ की तस्वीर मूर्ति को मिटटी में दफ़न कर दिया |
लोग क्या सोचते है मेरे बारे में,
जो लोग समझना ही नहीं चाहते ओ एक नजर में कह देते है पागल है |
पर कुछ लोग मुझे अच्छी तरीके से जानते है, की यह लड़का जो भी करता है उसका कोई न कोई कारन अवश्य होता है |
लोगो ने इस बात को जानना चाहा |
प्रशन करके के अनेक तरीके होते है,
एक होता है ? जानने की इच्छा |
और दूसरा अपनी बात को सर्वोत्तम साबित करके की (आरोप ) इच्छा |
पर समझने वाली बात है, जो आरोप लगाते है वह पहले से यह समझ लेते है की इसने यह गलत किया है | लेकिन जो व्यक्ति आरोप नहीं लगता जानने की कोशिस करता है , ऐसे लोग बहुत कम मिलते है ,
समाज में आपको बहुत सारे लोग मिलेंगे | लेकिन समझने वाली बात है, जो पहले से चली आ रही रीत है अगर कोई उसका उल्लंघन करता है तो उसे बहुत सारे लोगो की मानसिकता का सामना करना पड़ता है | जो समझदार है, वह समझते है, की गलत है या सही है |
लेकिन जो लोग समझना नहीं चाहते वह, वैसे का वैसा ही रहना चाहते है |
लोगो ने मुझसे कहाँ, जो जैसा है उसे रहने दो न , तुम क्यों सुधारने में लगे हो |
साहब मै इतना भी अँधा नहीं हूँ की, सड़क पर चलना न आता हो |
पर जो अँधा है उसे सही रास्ते दिखाने की कोसिस कर रहे है |
अगर किसी की मृत्यु हो जाती है |
और गाँव भर के लोगो को खिलाने का समय आता है तो वह खिन्न होकर, अपने पैसे लुटाके खिला देता है |
लेकिन कुछ दिन बाद दुसरे के घर में अगर मृत्यु भोज का आयोजन न हो तो बवाल मच जाता है |
हमने अपने लुटा लुटा के आज लोगो को खिला है, और जब तुम्हारी बारी आई तो तुम भाषण मार रहे हो, मृत्यु भोज गलत है कह रहे हो |
उल्टा चंदा देने के लिए हमें कह रहे हो, आज मै मृत्यु भोज के कारण गरीब हो गया और तुम हो की लोगो को खिला पिला नहीं रहे हो |
यही तो बात है समाज की सभी अपनी-अपनी बात को थोपना चाहते है, कोई किसी की परेशानी समस्या को समझना ही नहीं चाहते, बहुत कम मिलेंगे, आपको अपनी जिंदगी में सच्चे लोग |
जो जीवन को सही तरीके से अंधविश्वास से दूर जीना चाहेंगे |
अब मेरा आपसे सवाल है |
आँखे होते हुए भी आप अंधे की तरह क्यों नहीं जीते |
आप कहंगे, ये तो गलत है |
तो फिर कहता हूँ मै, आपके दो आँख है पर भी आप अंधे की तरह जी रहे हो तो कैसा रहेगा |
आपको यकीन नहीं होगा लेकिन यह सत्य है |
जान रहे हो समझ रहे हो देख रहे हो, तालाब में गन्दगी को डालने से तालाब ख़राब गन्दा होता है,
क्या ये क्या अंधापन नहीं है |
जाओ साहब पहले इस अंधेपन का इलाज कराओ नहीं तो, उसी गंदे पानी में नहाकर, बिमार हो जाओगे |
और किसी को फिर से पागल कह दोगे | अपनी मानसकिता का इलाज कराओ साहब जी
सभी व्यक्ति को बहुत दुःख हुआ था, सभी क्रोध से आग बबूला हो गए थे |
बहुत लोग खुश हुए थे |
मीडिया आई, लोग आये, मुझे समझना चाहा |
की क्या कारण की मैंने देवी देवताओ की तस्वीर मूर्ति को मिटटी में दफ़न कर दिया |
लोग क्या सोचते है मेरे बारे में,
जो लोग समझना ही नहीं चाहते ओ एक नजर में कह देते है पागल है |
पर कुछ लोग मुझे अच्छी तरीके से जानते है, की यह लड़का जो भी करता है उसका कोई न कोई कारन अवश्य होता है |
लोगो ने इस बात को जानना चाहा |
प्रशन करके के अनेक तरीके होते है,
एक होता है ? जानने की इच्छा |
और दूसरा अपनी बात को सर्वोत्तम साबित करके की (आरोप ) इच्छा |
पर समझने वाली बात है, जो आरोप लगाते है वह पहले से यह समझ लेते है की इसने यह गलत किया है | लेकिन जो व्यक्ति आरोप नहीं लगता जानने की कोशिस करता है , ऐसे लोग बहुत कम मिलते है ,
समाज में आपको बहुत सारे लोग मिलेंगे | लेकिन समझने वाली बात है, जो पहले से चली आ रही रीत है अगर कोई उसका उल्लंघन करता है तो उसे बहुत सारे लोगो की मानसिकता का सामना करना पड़ता है | जो समझदार है, वह समझते है, की गलत है या सही है |
लेकिन जो लोग समझना नहीं चाहते वह, वैसे का वैसा ही रहना चाहते है |
लोगो ने मुझसे कहाँ, जो जैसा है उसे रहने दो न , तुम क्यों सुधारने में लगे हो |
साहब मै इतना भी अँधा नहीं हूँ की, सड़क पर चलना न आता हो |
पर जो अँधा है उसे सही रास्ते दिखाने की कोसिस कर रहे है |
अगर किसी की मृत्यु हो जाती है |
और गाँव भर के लोगो को खिलाने का समय आता है तो वह खिन्न होकर, अपने पैसे लुटाके खिला देता है |
लेकिन कुछ दिन बाद दुसरे के घर में अगर मृत्यु भोज का आयोजन न हो तो बवाल मच जाता है |
हमने अपने लुटा लुटा के आज लोगो को खिला है, और जब तुम्हारी बारी आई तो तुम भाषण मार रहे हो, मृत्यु भोज गलत है कह रहे हो |
उल्टा चंदा देने के लिए हमें कह रहे हो, आज मै मृत्यु भोज के कारण गरीब हो गया और तुम हो की लोगो को खिला पिला नहीं रहे हो |
यही तो बात है समाज की सभी अपनी-अपनी बात को थोपना चाहते है, कोई किसी की परेशानी समस्या को समझना ही नहीं चाहते, बहुत कम मिलेंगे, आपको अपनी जिंदगी में सच्चे लोग |
जो जीवन को सही तरीके से अंधविश्वास से दूर जीना चाहेंगे |
अब मेरा आपसे सवाल है |
आँखे होते हुए भी आप अंधे की तरह क्यों नहीं जीते |
आप कहंगे, ये तो गलत है |
तो फिर कहता हूँ मै, आपके दो आँख है पर भी आप अंधे की तरह जी रहे हो तो कैसा रहेगा |
आपको यकीन नहीं होगा लेकिन यह सत्य है |
जान रहे हो समझ रहे हो देख रहे हो, तालाब में गन्दगी को डालने से तालाब ख़राब गन्दा होता है,
क्या ये क्या अंधापन नहीं है |
जाओ साहब पहले इस अंधेपन का इलाज कराओ नहीं तो, उसी गंदे पानी में नहाकर, बिमार हो जाओगे |
और किसी को फिर से पागल कह दोगे | अपनी मानसकिता का इलाज कराओ साहब जी
आप समझ गए होंगे कौन सा देश है
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