मेरा आखरी प्रश्न ? क्या हमारे शरीर में आत्मा होती है ?
अगर इस प्रश्न का उत्तर खोजने निकलू तो, मुझे अनेको उत्तर मिलेंगे,
कोई कहेगा, आत्मा नहीं होता |
कोई कहेगा होता है |
चलो अगर नहीं होता मान लिया तो भुत कहाँ से आये, और देवी देवता की पूजा क्यों की जाती है |
अगर मान लेते है आत्मा है, तो भुत को भी मानना होगा, और परमात्मा अर्थात आत्मा का मालिक को भी मानना होगा |
लेकिन गौतम बुध्द तो कुछ और ही कहता है |
क्या कहता है इसे सुनो |
तुम आत्मा को क्यों खोज रहे है,
तुम भुत को क्यों खोज रहे हो,
तुम परमात्मा को क्यों खोज रहे हो ,
तुम्हे इस सभी को क्यों जानना है,
क्या आत्मा और परमात्मा को देखा जा सकता है,
क्या आत्मा और परमात्मा को बुध्दि से जाना जा सकता है,
अगर ऐसा होता तो सभी देख रहे होते है आज |
समझने वाली बात तो यह है की यह सभी बाते तुम्हारे लिए फालतू है |
क्योकि !
क्या मिलेगा तुम्हे आत्मा और परमात्मा को जान कर,
सभी यही तो कर रहे है, देखो कौन बचा है |
अगर आत्मा और परमात्मा को जानने से समझने से तुम्हारी गरीबी और दुःख, अशिक्षा दूर हो जायेंगे तो, तुम बिना पढ़े, बिना समझे शिक्षित हो जाओगे,
तब तो सही है, नहीं तो किसी काम का नहीं इसे समझो |
तुम्हे इन सभी चीजो से दूर जाना है,
जो तुम्हे उलझा कर रखती है,
आपको बेहतर जिंदगी की ओर आगे बढ़ना है,
इन चौरासी फासा में उलझने की तुम्हे जरुरत नहीं है,
अगर सोच रहे हो की इन चौरासी फासा में फसे हुए व्यक्ति के जाल को काटूँगा, तो सही सोच रहे हो, लेकिन कार्य करने का जो तरीका है,
वह गलत हो सकता है,
जो जाल में फसे है उन्हें क्यों छुड़ा रहे हो, पहले जो फस रहे है उन्हें तो रोको |
बच्चों को तुम्हे उत्तर स्वंम मिल जायेगा |
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