यह संसार बन्ने से पहले कुछ तत्व धूल के कण के रूप में मौजूद थे, उस समय कुछ नहीं बन पाया था, सब धूल था |
जिसे इलेक्ट्रान, न्यूट्रोंन, प्रोटान के रूप में जाना जाता है |
धीरे-धीरे परिवर्तन होता गया, एक समय ऐसा आया की यह गुरुत्वाकर्षण के कारण आपस में जुड़ गए, और विस्पोट हुआ, सभी तत्व एक दुसरे से टकराने लगे, जुड़ने लगे, बल के कारण घुमने लगे |
इस तरह से सभी तत्व अपने-अपने समान तत्व के संपर्क में आये |
करोड़ो वर्षो तक यही प्रक्रिया चलता रहा, इस तरह से सभी ग्रह का निर्माण हुआ |
इस तरह से पृथ्वी बना, पृथ्वी में कुछ ऐसे तत्व है, जिस कारण से चन्द्रमा भी पृथ्वी के चक्कर काटती है |
यह जो भी हुआ वह सभी गुरुत्वाकर्षण खिचाव, बल घूर्णन के कारण हुआ |
पृथ्वी ग्रह बन्ने के बाद परिवर्तन |
जब यह पृथ्वी बना उसके बाद इसके अन्दर में जितने भी तत्व थे, सब गर्म अवस्था में थे, करोड़ो वर्षो तक लावा बहता रहा,
पृथ्वी में पानी की मात्रा अधिक होने की वजह से, पानी लाखों वर्षो तक बहता रहा,
इस तरह से, सागर, नदी, नाले, झील, पहाड़, पठार, बना |
जो गरम तत्व थे, जिसमे वजन की मात्रा जायदा था, वह नीचे की ओर चला गया, और जो तत्व हलके थे ओ ऊपर की ओर आ गये |
जीवों की उत्पत्ति कैसे हुई ?
जब पृथ्वी शांत हुआ, तो पानी स्थान पर रुकने लगे, जिससे काई (हरा घांस) की उपत्ति हुआ. फिर धीरे-धीरे यह घास सड़ने लगा और छोटे-छोटे जीव की उत्पत्ति हुई, मानव की उत्पत्ति भी इसी तरह से हुई, इसी पानी से सभी जीवो की उत्पति हुई, यह दौर परिवर्तन का दौर था, लेकिन प्रश्न उठता है, मुर्गी पहले आया या अंडा, तो इसका उत्तर है |
कोई भी जीव स्वंम से उत्पन्न होने से पहले एक आवरण बनाता है, उसके बाद उस आवरण में जीव का जन्म होता है |
जैसी परिस्तिथि होती है, वैसे ही जीव ढल जाता है, यह मानव भी इसी तरह से बड़ा हुआ, जितने भी मानव है, सब एक प्रजाति के अन्तर्गत आते है |
पहले यह जमीन पर चलने वाला था, जानवर की तरह, धीरे-धीरे करोड़ो वर्षो बाद उसमे परिवर्तन आया है |
अगली कड़ी में –
Leave a Reply