
छत्तीसगढ़ः में इन दिनों रोजगार गांरटी योजना का कार्य ठप्प है‚ वजह है‚ रोजगार सहायको का अपनी मांगो को लेकर धरना प्रदर्शन।
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रोजगार सहायक नियमीतिकरण
रोजगार सहायक पंचायत स्तर पर मनरेगा अधिकारी होता है‚ जिनका कार्य पंचायत के अंतर्गत आने वाले मनरेगा मजदूरो को रोजगार दिलाने में‚ जॉब कार्ड बनाने‚ और मनरेगा के अंतर्गत आने समस्त कार्य कराना होता है।
छत्तीसगढ़ के सभी रोजगार सहायको का दो प्रमुख मॉग है‚
- नियमितीकरण किया जावें। तथा
- वेतन बढ़ाया जावें।
वर्तमान में रोजगार सहायक संविदा पर नौकरी कर रहे है‚ जिनका वेतन 5000 दिया जा रहा है‚ जबकि वही मनरेगा मजदूर का एक दिन का देहाड़ी 204 हो गया है‚ और अन्य राज्य में तो 250 तक पहॅुचने वाला है।
अगर दो 204×30=6120 रूपये हो रहे है‚ वही रोजगार सहायको को एक दिन का 200 रूपया मिलना भी मुश्किल है।
जिस तरह से केन्द्र सरकार लगातार मनरेगा के बजट में कटौती कर रही है‚ और राज्य की कांग्रेस सरकार शोषण कर रही है‚ इससे रोजगार सहायक काफी दुःखी है।
5000 में क्या होने वाला है‚ 120 रूपये प्रट्रोल‚ उपर से जनपद और पंचायत का काम काज को लेकर भागादौड़ी 2000 से जायदा तो प्रट्रोल में खत्म हो जा रहे है।
गरीब आदमी नियमितिकरण के उम्मीद से डटा हुआ है‚ संविदा नौकरी में।
चुनाव का घोसड़ा‚ 15 लाख की तरह चुनावी जुमला बन चुका है‚ अब रोजगार सहायको के सब्र का बॉध टुट गया है‚ कांग्रेस और भाजपा को उखाड़ कर फेकने का समय आ गया है।
रोजगार सहायको का रूझान आप आदमी पार्टी की तरफः
जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में कार्य किया है‚ और पंजाब में आम आदमी पार्टी नियमिति करण कर रही है‚ उससे संविदा कर्मचारी आम आदमी पार्टी की तरफ बढ़ रहे है।
छत्तीसगढ़ के जागरूक लोग जानते है‚ आम आदमी पार्टी का छत्तीसगढ़ में जीत हॉसिल करना कितना सरल है।
किसानों को 3000 धान‚ बिलनी पानी फ्री‚ हाई क्वॉलिटी शिक्षा‚ और कर्मचारीयों का नियमितिकरण‚ SC सीएम‚ और SC,ST,OBC, को मंत्री सीटे‚और पूर्व सरकारो की पोलपटटी।
क्या वजह है‚ रोजगार सहायको के नियमितिकरण न हो पाने का
कांग्रेस सरकार का कहना है‚ रोजगार गांरटी का निर्णय क्रेन्द्र तय करती है‚ हमारा इसमें कोई हाथ नहीं‚ इस तरह से छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने अपना पल्ला झाड़ लिया है।
रोजगार सहायको में डिजिटल एकता की कमी दिखाई पड़ती है‚ 10000 से अधिक रोजगार सहायक होने के बावजूद भी ट्रवीटर, फेसबुक‚ और सरकार को घेरने में आलस दिखाई दे रही है‚ अगर रोजगार सहायको को अपनी मॉगो पूरा करवाना है‚ तो डिजिटल के साथ रानिीतिक और अपने हक की लड़ाई बेबाकी के साथ लड़नी होगी।
यह ख़बर लिखा है‚ योगेन्द्र धिरहे ने‚ संपादक inhindiindia.in news
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